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लेखनी प्रतियोगिता -19-May-2022

कश्ती जीवन की

वह कश्ती है जीवन,
कहता है मेरा मन।
किनारा ढूँढने चली,
सागर की ओर भली।
वह यादें लिए मन में,
कर्म करे जग में।
संघर्षशील जीवन में ढूँढता चाहे,
जीवन की पथ  की राहे।
सागर की डोर है फैली,
जीवन की कश्ती चली।
बनके जीवन का विश्वास,
वह है अपनी आत्मविश्वास। 
वह राहे तलाश  करती कश्ती,
वह मन में मेरी बस्ती।
किस्मत से पार करे तूफान की नया बन सहारा,
जीवन में सुकूनता जब मिले कश्ती को किनारा।
-भूमिका शर्मा





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14 Comments

Seema Priyadarshini sahay

21-May-2022 04:01 PM

बेहतरीन रचना

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Neelam josi

21-May-2022 03:31 PM

Very nice 👌

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Reyaan

21-May-2022 01:50 PM

👌👏

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